79 स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर देशभक्ति से भरा संदेश, हम जश्ने आजादी की महफिलः-
हम जश्ने आजादी की महफिल में
एक शम्मा जलाने आए हैं,
इंकलाब के नारे को फिर दोहराने आए हैं
हम जश्ने आजादी मनाने आए हैं।
हम खून से खेली होली का
गुलाल उड़ने आए हैं,
जो देख ना सके आजादी को
उन शहीदों के मलाल का बताने आए हैं
हम जश्ने आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
गुरुर तोडा, तख्तोताज तोडा
वीर शिवाजी का घोड़ा जब रण में दौड़ा,
मिटा दी हस्ती मिट्टी में
जो संदेश दिया शहीदों ने चिट्ठी में
वह चिट्ठी पढ़ने आए हैं
हम जश्ने आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
जो जान हथेली पर लेकर
जो गालियों गालियों घूमे थे
जिन शहीदों ने हंस-हंसकर
फांसी के फंदे चूमे थे
वह सब बतलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
जो जलसा हुआ जलियांवाला बाग में
जहां चिंगारी बदल गई थी आग में,
धड़क रही थी आग सीने में,
तब उधम सिंह ने, गोली मारी दुश्मन के सीने में
उन शहीदों को याद करने आए हैं
हम जिसने आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
आजादी का परचम जब पहली बार लहराया था
हुए देश के दो टुकड़े कोई समझ नहीं पाया था
जो रहते थे एक ही घर मे, एक बन गया हम साया था
उस समय जो हुई गलती एहसास दिलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
यह नई दुनिया है नया भारत है
अब दुनिया डिजिटल दुनिया कहलाती है
यह सांप सपेरे का देश नहीं,
अब भारत डिजिटल इंडिया कहलाता है
अब भारत सर्व समर्थ है
यह दुनिया को बांटने आए हैं
हम जश्ने आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
अब रुकने का नाम नहीं अब आगे बढ़ते जाना है।
ना रहे भरोसे किसी देश के अपना सब कुछ बनाना है
नहीं डरते हम किसी से ना किसी को डरना है
गौतम बुद्ध की धरती से संदेश सुनाने आए हैं
हम जा आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
हम विश्व गुरु थे और फिर विश्व गुरु बनेंगे
नालंदा के गौरव को फिर लौटाने आए हैं
देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाने आए हैं
हम जश्ने आजादी की महफिल में
शमा जलाने आए हैं
हम जश्ने आजादी बनाने आए।
ओम प्रकाश शर्मा